8 प्रमुख शुगर कंट्रोल करने की दवाइयाँ|
हम सभी जानते हैं कि डायबिटीज आजीवन रहने वाली बीमारी है और ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी करना इस बीमारी की खासियत है। पर क्या आप जानते है कि डायबिटीज के अलग-अलग प्रकार होते हैं जो तरह-तरह के कारणों से हो सकते हैं।
डायबिटीज के तीन मुख्य प्रकार हैं
1. टाइप 1 डायबिटीज
इस प्रकार में इंसुलिन का पूरी तरह से अभाव रहता है।
2. टाइप 2 डायबिटीज
इस प्रकार का डायबिटीज आमतौर पर किसी के जीवनकाल में निम्न कारणों से विकसित हो सकता है:
- इंसुलिन रेजिस्टंस (जब बॉडी सेल्स इंसुलिन पर प्रतिक्रिया करने और एनर्जी के लिए ग्लूकोज का इस्तेमाल करने में असफल हो जाती हैं) या इंसुलिन की कमी। पैंक्रिया इस रेजिस्टंस को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना सकता है।
- बॉडी सेल्स इंसुलिन को ग्लूकोज को अपने सेल्स में जाने की इजाजत नहीं देती।
- बॉडी सेल्स इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो गई हैं।
3. गर्भकालीन डायबिटीज
गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण कुछ महिलाओं को डायबिटीज हो सकता है। आमतौर पर यह डायबिटीज बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है। जबकि इससे महिला को बाद में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
प्री-डायबिटीज या डायबिटीज से ग्रसित लोग स्वस्थ डाएट, रोजाना एक्सरसाइज, तनाव और नींद नियंत्रण जैसे बदलाव कर अपनी स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं।
जबकि कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ भी आ जाती हैं जब सिर्फ जीवनशैली में बदलाव करके आपके शुगर को नियंत्रित करना मुश्किल होता है और डायबिटीज से जुडी आने वाली समस्याओं को रोकने के लिए आपके ब्लड शुगर नियंत्रण में दवाइयों की मदद लेने पर विचार करना जरूरी होता है।
शुगर कंट्रोल करने की दवा से जुड़ी मान्यताएँ और आवश्यक जागरूकता और ज्ञान की कमी के कारण कई लोग इसके गुणकारी असर से खुद को दूर कर लेते हैं। जबकि ज्यादातर मामलों में डायबिटीज के लिए डॉक्टर ही दवाइयाँ निर्धारित करते हैं। डायबिटीज के लिए खुद-से दवाइयाँ लेना खतरे से खाली नहीं हो सकता इस बात को जानना और इससे बचना बेहद जरूरी है।
आपके डॉक्टर डायबिटीज के प्रकार, आपकी उम्र ब्लड शुगर लेवल, लॅबोरेटरी पैरामीटर्स, संकेतों और लक्षणों और अन्य संबंधित बीमारियों के आधार पर आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए बेहतरीन दवाइयों की सिफारिश करेंगे।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख दवाइयों पर एक नजर डालें।
शुगर की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
डायबिटीज का इलाज बहुआयामी है क्योंकि इस बीमारी में कई बातों का मेल हो सकता है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए दवाइयों को मोटे तौर पर ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट (Oral Hypoglycemic Agents – OHA) और इंसुलिन में बाँटा जा सकता है।
जबकि ओरल हाइपोग्लाइसेमिक दवाइयों का इस्तेमाल टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है, टाइप 1 डायबिटीज के लिए ये असरदार दवा नहीं है। शायद सभी तीनों प्रकार के डायबिटीज के लिए इंसुलिन का इस्तेमाल किया जाता है।
ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट (OHA)
इन दवाइयों को एंटीहाइपरग्लाइसेमिक एजेंट (Anti-Hyperglycemic Agents – AHA) भी कहा जाता है। आपके डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार एक ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट, ओरल दवाओं और इंसुलिन का जोड़ बता सकते हैं।
ये दवाइयाँ निम्न में से किसी एक तरीके से काम करती हैं:
- आपके लीवर द्वारा जारी शुगर की मात्रा कम करता है
- भोजन से शुगर के ऐब्सॉर्प्शन को धीमा कर देता है
- इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया में सुधार करता है
- यह पैंक्रिया को अधिक इंसुलिन जारी करने में मदद करता है
- किडनी के द्वारा ग्लूकोज के रीऐब्सॉर्प्शन को रोकता है
- आंत से शुगर के ऐब्सॉर्प्शन को रोकता है
OHA निम्न प्रकार के होते हैं
1. बिगुआनाइड्स (मेटफॉर्मिन) | Metformin
टाइप 2 डायबिटीज के लिए सबसे बड़े पैमाने पर निर्धारित दवाइयाँ हैं। इन्हें प्री-डायबिटीज और PCOD के लिए भी निर्धारित किया जा सकता है। बिगुआनाइड्स के कार्य:
- लीवर में होनेवाले ग्लूकोनियोजेनेसिस (ग्लूकोज को जारी करना) को रोकना।
- वे इंसुलिन स्टिम्युलेटेड ग्लूकोज इन्टेक को बढ़ाने के लिए स्केलेटल मसल्स की मांसपेशियों पर भी काम करते हैं।
- ग्लूकोज ऐब्सॉर्प्शन को कम करता है।
- भूख कम कर देता है।
- गैस्ट्रिक खाली करने में देरी करता है।
मेटफॉर्मिन के इस्तेमाल से होने वाले कुछ नुकसान
- GI प्रभाव – जी मचलना, उल्टी, एसिडिटी, दस्त, सूजन
- विटामिन B12 का मालऐब्सॉर्प्शन
- लीवर और किडनी की गंभीर बीमारियों के मामले में बंद कर दिया जाता है।
2. सल्फोनील यूरिया | Sulfonyl Urea
एंटीडायबिटीज दवाइयों की यह सबसे पुरानी किस्म है। वे ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए इंसुलिन जारी करने के लिए पैंक्रिया में लैंगरहैंस के आइलेट्स की बीटा सेल्स को डायरेक्ट उत्तेजित करके काम करते हैं
टाइप 2 डायबिटीज दवाओं के इस किस्म की कुछ विशेषताएँ हैं:
- वे इंसुलिन सिक्रीशन को बढ़ाने के लिए पैंक्रिया की बीटा सेल्स को उत्तेजित करते हैं।
- वे HbA1c के लेवल में लगभग 1.5-2% की कमी ला सकते हैं।
- सल्फोनील यूरिया के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं –
ग्लाइबराइड, ग्लीपीजाइड, ग्लिक्लेजाइड, ग्लिमेपिराइड
इनके इस्तेमाल से होने वाले कुछ नुकसान हैं,जैसे:
- वजन बढ़ाना
- भूख
- सेकेंडरी बीटा सेल्स की असफलता
- हाइपोग्लाइसेमिया
3) ग्लिटाजोन: थियाजोलिडाइनेडिओन्स | Thiazolidinediones (TZD)
ये दवाइयाँ बॉडी टिशू में इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम कराती हैं और इंसुलिन सेंसेटिविटी को बढाती है।
थियाजोलिडाइनेडियोन दवाइयाँ हाइपोग्लाइसेमिया पैदा किये बिना फास्टिंग और भोजन के बाद हाइपरग्लाइसेमिया को भी लक्षित करती हैं। इन दवाओं का असर दवा शुरू करने के लगभग दिन बाद दिखाई देता है।
इस किस्म में आने वाली कुछ दवाइयाँ हैं – ट्रोग्लिटाजोन, पियोग्लिटाजोन और रोसिग्लिटाजोन। इनमें से ट्रोग्लिटाजोन को लीवर टॉक्सिसिटीके कारण बंद कर दिया गया है, रोसिग्लिटाजोन को भी बंद कर दिया गया है क्योंकि इससे महिलाओं में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। आज सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ग्लिटाजोन, पियोग्लिटाजोन है।
ग्लिटाजोन दवाइयों की कुछ कमियाँ इस प्रकार हैं:
- बहुत कम लेकिन अधिक खतरनाक साइड इफेक्ट्स इसमें शामिल हैं
- मैक्युलर एडिमा (धब्बेदार शोफ)
- ह्रदय की समस्याएँ
- लीवर का काम करना बंद हो जाना
- खून की कमी
- हड्डी फ्रैक्चर
- शरीर में तरल पदार्थों की अधिकता
- हेमोडायल्यूशन – एनीमिया
- वजन बढ़ाना
- शोफ
- जिन वृद्ध वयस्कों को हार्ट फेल्युअर या हार्ट फेल्युअर का खतरा है, उन्हें इससे परहेज करना चाहिए।
4) अल्फा ग्लूकोसिडेज इन्हिबिटर | Alpha Glucosidase inhibitors
इस प्रकार की दवाइयाँ छोटी आंत से कार्बोहाइड्रेट केऐब्सॉर्प्शन को रोकता है। वे उन एंजाइमों को रोकते हैं जो कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट को सिंपल कार्बोहाइड्रेट में बदलते हैं। इसका नतीजा ग्लूकोज का कम ऐब्सॉर्प्शन होता है।
अधिक प्रभाव के लिए अल्फा ग्लूकोसिडेज इन्हिबिटर को मुख्य भोजन से पहले लिया जाना चाहिए। ये दवाइयाँ भोजन के बाद हाइपरग्लाइसेमिया को लक्षित करती हैं लेकिन इससे वजन नहीं बढ़ता या हाइपोग्लाइसेमिया नहीं होता।
इन दवाइयों के दुष्परिणाम हैं:
- डायरिया, पेट फूलना और सूजन, जी मचलना और उल्टी
- हाइपोग्लाइसेमिया का इलाज सिर्फ मोनोसेकेराइड से किया जाता है
आपका डायबिटीज रिवर्स
हो सकता है क्या?
5) SGLT2 इन्हिबिटर
सोडियम ग्लूकोज को ट्रांसपोर्टर- 2 या SGLT-2 इन्हिबिटर एंटीडायबिटिक दवाइयों की एक किस्म है जो टाइप -2 डायबिटीज से ग्रसित लोगों में ब्लड शुगर लेवल को कम करती है। इस प्रकार की दवाइयों के कुछ उदाहरण एम्पाग्लिफ़्लोज़िन और डेपाग्लिफ़्लोज़िन हैं। SGLT-2 इन्हिबिटर किडनी को मूत्र के माध्यम से अतिरिक्त शुगर निकलने के लिए उत्तेजित करके ब्लड शुगर लेवल को कम करते हैं।
SGLT-2 इन्हिबिटर HbA1c को 0.8 से 1.5% तक कम कर सकते हैं, वे वजन भी कम करते हैं और हाइपोग्लाइसेमिया का खतरा कम होता है।
SGLT-2 इन्हिबिटर के कुछ लाभों ने शामिल हैं:
- बीमारी के सभी पड़ावों में ग्लूकोज को कम करता है
- सभी प्रकार के और इंसुलिन के साथ प्रभावी ढंगसे जोड़ा जा सकता है
- वजन घटाने में सक्षम बनाता है
- ब्लड प्रेशर कम करता है
- हाइपोग्लाइसेमिया का खतरा कम करता है
इन फायदों के बावजूद टाइप 2 डायबिटीज के लिए दवाइयों के इस किस्म के बारे में कुछ संदेह यहाँ पेश किए गए हैं:
- यूरिनरी ट्रैक के इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है
- जेनिटल इंफेक्शन काखतरा बढ़ जाता है
- कुछ लोगों में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है
- हड्डी टूटने का खतरा बढ़ सकता है
6) DPP 4 इन्हिबिटर
डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज 4 या DPP 4 इन्हिबिटर टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के उपचार के लिए डायबिटीज दवाइयों की एक किस्म है। इन्हें ग्लीप्टिन भी कहते हैं, ये आपके वजन पर कोई प्रभाव डाले बिना HbA1c के लेवल में0.5 से 1.5% की कमी ला सकते हैं।
ये दवाइयाँ इन्क्रीटिन हार्मोन पर काम करती हैं, जो इंसुलिन सिक्रीशन को बढ़ाकर और ग्लूकागन सिक्रीशन को कम करके ग्लूकोज होमियोस्टैसिस को बनाए रखती है। सीटाग्लिप्टिन, विल्डग्लिप्टिन, लिनाग्लिप्टिन, टेनेलिग्लिप्टिन, और सैक्साग्लिप्टिन कुछ आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वालेDPP 4 इन्हिबिटर हैं।
इन दवाइयों के इस्तेमाल से होने वाले दुष्परिणामों में शामिल हैं:
- जी मचलना, दस्त और पेट दर्द
- एडिमा
- सिरदर्द
- URTI
- एनोरेक्सिया
7) GLP 1 एगोनिस्ट
ग्लूकागन- जैसे पेप्टाइड -1 (GLP-1) एगोनिस्ट याGLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट में एक्सेनाटाइड, लिक्सिसेनाटाइड आदि दवाइयाँ शामिल हैं। दवाइयों की यह किस्म उन रोगियों के लिए तय की जाती है जो तीन महीने में अपने लक्ष्य Hb1Ac लेवल तक नहीं पहुँच पाते या ऐसे रोगियों में Hb1Ac लक्ष्य से 1.5% ज्यादा है। GLP-1 एगोनिस्ट को दिन के पहले भोजन से तीस मिनट पहले लेना चाहिए।
ये दवाइयाँ फास्टिंग के साथ-साथ भोजन के बाद ग्लूकोज में सुधार करने के लिए अलग-अलग ढंग से कार्य करती हैं जैसे:
- संवर्धित इंसुलिन सिक्रीशन (ग्लूकोज परआधारित)
- ग्लूकागन रिलीज को रोकना और हेपेटिक ग्लूकोनियोजेनेसिस को कम कर देना, जिससे दोनों कम हो जाते हैं।
- पैंक्रिया के आइलेट्स से ग्लूकोज पर आधारित इंसुलिन रिलीज को बढ़ावा देना
- गैस्ट्रिक एम्प्टीइंग को धीमा कर देता है
- भोजन के बाद अनुचित ग्लूकागन रिलीज को रोकता है
- खाना कम कर देता है
इन दवाइयों के कुछ दुष्परिणाम इस प्रकार हैं:
- जी मचलना
- उल्टी करना
- पेट में दर्द
8) इंसुलिन
इंसुलिन पैंक्रिया की बीटा सेल्स से निर्मित एक हार्मोन है जो आपके शरीर की ब्लड शुगर लेवल और मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करता है। आपके शरीर को जरूरी एनर्जी के लिए शुगर का इस्तेमाल करने और बाकी को जमा करने में यह मदद करता है।
सन १९२१ में इंसुलिन की खोज से पहले डायबिटीज से ग्रसित लोग काफी लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते थे। इंसुलिन के फायदों की खोज के बाद, डॉक्टर फ्रेडरिक बैंटिंग और उनके सहायक चार्ल्स एली लिली पहले कृत्रिम तरीके से इंसुलिन निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने में सफल रहे।
आज, आपके डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन को सबक्यूटेनीअस्ली, इंट्रामस्क्युलरली और इंट्रावेनसली इंजेक्ट किया जा सकता है।
इंसुलिन के लिए कुछ निर्देश
- टाइप 1 डायबिटीज से ग्रसित लोग
- टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित लोग निम्न केसेस में:
- हाई शुगर
- ओरल हाइपोग्यइसेमिक दवाइयों की असफलता
- किडनी फेल्युअर
- पैंक्रियाटिक डायबिटीज
- गर्भकालीन डायबिटीज
- ICU में भर्ती मरीज
- इंफेक्शन्स
इंसुलिन के प्रकार
निम्न आधार पर इंसुलिन विभिन्न प्रकार के होते हैं
- ऑनसेट (कितनी जल्दी कार्य करते हैं)
- पीक (अधिकतम प्रभाव के लिए कितना समय लगता है)
- ड्यूरेशन(उनका प्रभाव ख़त्म होने में कितना समय लगता है)
- कंसन्ट्रेशन
- रूट ऑफ डिलीवरी
इंसुलिन के तीन प्राथमिक प्रकार हैं
-
तेजी से काम करने वाला
इस प्रकार का इंसुलिन आपके सबक्यूटेनियस टिशू से रक्तप्रवाह में तेजी से ऐब्सॉर्ब हो जाता है। इनका इस्तेमाल भोजन या नाश्ते के समय ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। तेजी से काम करने वाले इंसुलिन एनालॉग्स और नियमित ह्यूमन इंसुलिन तेजी से काम करने वाले इंसुलिन के प्रकार हैं। यह इंसुलिन आमतौर पर भोजन से 30 से 60 मिनट पहले लिया जाता है।
-
मध्यम गति से काम करने वाला
इस प्रकार का इंसुलिन तेजी से काम करने वाले इंसुलिन के मुकाबले धीमी गति से ऐब्सॉर्ब होता है लेकिन तेजी से काम करने वाले इंसुलिन की तुलना में ज्यादा समय तक रहता है। इनका इस्तेमाल रात भर, फास्टिंग के दौरान और दो भोजन के बीच ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। NPH ह्यूमन इंसुलिन और प्री-मिक्स्ड इंसुलिन दो प्रकार के मध्यम गति से काम करने वाले इंसुलिन हैं। असर 12 से 18 घंटे तक रहता है।
-
लंबे समय तक काम करने वाला
यह बिलकुल धीरे-धीरे से ऐब्सॉर्ब होते हैं, मिनिमल पीक प्रभाव रखते हैं और ज्यादा दिन बने रहते हैं। मध्यम गति से काम करने वाले इंसुलिन के समान लंबे समय तक काम करने वाले इंसुलिन का इस्तेमाल रात भर में, भोजन के बीच और फास्टिंग के दौरान ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इनका असर आमतौर पर 24 घंटे रहता है।
इंसुलिन थेरेपी के दुष्परिणाम
किसी भी अन्य दवा की तरह इंसुलिन थेरेपी के दुष्परिणाम हो सकते हैं जैसे:
- इंजेक्शन की जगह पर लालिमा, सूजन या खुजली
- वजन बढ़ाना
- इंजेक्शन वाली जगह पर त्वचा का मोटा होना या गड्ढा पड़ना
- हाइपोग्लाइसेमिया
कुछ लोगों के लिए इंसुलिन थेरेपी थोड़ी महंगी हो सकती है।
FitterTake
ऐसी स्थिति वाले ज्यादातर लोगों में दवाइयाँ डायबिटीज और प्री-डायबिटीज नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपके लिए सही दवा आपके डॉक्टर आपकी स्थिति, ब्लड शुगर लेवल, उम्र और सम्पूर्ण स्वास्थ्य को परख कर तय करेंगे।
आपको अपने शुगर की दवा अक्सर अपने डॉक्टर द्वारा बताए गए समय पर लेनी चाहिए। एक भी खुराक न छोड़ें या अपनी दवाइयाँ खुद से बंद न करें। अपने डायबिटीज के लिए सेल्फ-मेडिकेशन खतरनाक हो सकता है और इसलिए चाहे कुछ भी हो जाए इससे बचके रहिए।
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