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इंसुलिन के क्या साइड इफेक्ट्स होते है?

Published on: Dec 29, 2023
5 min Read
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Medically Reviewed

Dr. Vidya Jaydeep Walinjkar

Diabetologist
इंसुलिन के क्या साइड इफेक्ट्स होते है
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इंसुलिन एक हार्मोन है, पैंक्रिया द्वारा निर्मित होता है, जो शरीर की सेल्स में ब्लड ग्लूकोज के प्रवेश पर नियंत्रण रखता है। एनर्जी देने के लिए सेल्स ग्लूकोज का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करती है। डायबिटीज सारा नजारा बदल देता है!

इंसुलिन और डायबिटीज को समझना

डायबिटीज में या तो कम मात्रा में इंसुलिन निर्माण होता है या इंसुलिन का सही ढंग इस्तेमाल करने के लिए सेल्स उतनी सेंसेटिव या माहिर नहीं होती हैं। नतीजा हाई ब्लड शुगर लेवल है और तभी आपका डायबिटोलॉजिस्ट दवा के रूप में इंसुलिन बताता है। 

डायबिटीज के लिए इंसुलिन का विकास

सन 1920 के दशक की शुरुआत में इंसुलिन की खोज के बाद इसमें एक जबरदस्त विकास हुआ है, जो क्रूड एनिमल एक्सट्रेक्ट से लेकर हाईली रिफाइंड रिकाॅंबिनंट तक विकसित हो रहा है। इस प्रगति ने डायबिटीज केयर को ही बदल दिया है, इंसुलिन थेरेपी की सुरक्षा और प्रभावशालीता दोनों में काफी सुधार हुआ है जिसका नतीजा है, दुनिया भर के लाखों लोगों का जीवन प्रोलाॅंग होना।

इंसुलिन के साइड इफेक्ट्स 

अन्य सभी दवाओं की तरह, इंसुलिन के भी दुश्प्रभाव होते हैं जो आमतौर पर काफी दुर्लभ हैं। आइए, इंसुलिन से होनेवाले साइड इफेक्ट्स पर एक नजर डालें:

इंसुलिन के यह साइड इफेक्ट्स इंजेक्शन के आसपास नजर आते हैं:

1. एलर्जी

इंसुलिन से एलर्जी एक रेअर बात है, क्योंकि आमतौर पर खुराक पैच टेस्ट के बाद दी जाती है। हाॅंलाकि, अगर आपको इंसुलिन इंजेक्शन के तुरंत बाद रॅश या कोई खास एलर्जी नजर आती है तो तुरंत अस्पताल को या अपने डायबिटोलाॅजिस्ट को सूचित करें।

2. स्कीन चेंज/ त्वचा में परिवर्तन

इंसुलिन के कई साइड इफेक्ट्स में से एक है फैट्स का अयोग्य डिस्ट्रीब्यूशन या लिपोडिस्ट्रोफी, जिसके कारण स्कीन से संबंधित बदलाव होते हैं। यह दो तरह से नजर आते हैं:

  • लिपोहाइपरट्राॅफी: शरीर में किसी विशेष स्थान पर इंसुलिन के बार-बार इंजेक्शन लगाने से इसके एबसोर्पशन में रुकावट आ सकती है, जिससे स्कीन की फैट सेल में सूजन आती है। यह स्कीन पर एक उभार जैसा नजर आता है।
  • लिपोएट्रोफी: एक ही स्थान पर इंसुलिन इंजेक्ट करने से स्कीन सेल्स फैट खराब हो सकते हैं, जिससे उस जगह पर गड्ढे आ सकते हैं। 

इंसुलिन के दुश्प्रभाव को रोकने के बेहतरीन उपाय हैं:

  • इंसुलिन इंजेक्शन की जगह बदलते रहें।
  • सूजन या गड्ढों वाली जगहों पर इंसुलिन इंजेक्शन न लगाऍं।
  • सही इंसुलिन इंजेक्शन प्रोटोकॉल के लिए अपने डायबिटिक कोच से सलाह लें।

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इंसुलिन के सिस्टेमिक दुश्प्रभाव

इंसुलिन के ये दुश्प्रभाव जनरल हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं:

हाइपोग्लाइसिमिया

इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में प्रभावी है, फिर भी इंसुलिन लेने की लापरवाही से ब्लड शुगर लेवल में अचानक गिरावट हो सकती है, जिसे साइंटिफिकली हाइपोग्लाइसिमिया कहा जाता है। जब ब्लड ग्लूकोज 70 mg/dl से भी नीचे चला जाता है, तो इसे हाइपोग्लाइसिमिया कहा जाता है।

इंसुलिन लेने से संबंधित हाइपोग्लाइसिमिया के प्राथमिक कारण हैं:

  • इंसुलिन का समय: अगर आप रेकमेंडेड से ज्यादा इंसुलिन या तो बार-बार या बड़ी खुराक लेते हैं, तो आपका  ब्लड शुगर अचानक कम हो सकता है।
  • भोजन और इंसुलिन में अनमेल: भोजन न करना / उपवास करना और इंसुलिन लेना ब्लड शुगर के लेवल को अस्थिर कर सकता है, जिसका नतीजा ब्लड ग्लूकोज में जबरदस्त गिरावट हो सकती है। 

इंसुलिन के साइड इफेक्ट्स से कैसे निपटें?

‘रूल 15’ का पालन करना, हाइपोग्लाइसिमिया से बचने का सबसे बेहतर तरीका है। यह है क्या?

  • ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल करके निश्चित करें कि आपका ब्लड शुगर लेवल 70 mg/dl से कम है, जो हाइपोग्लाइसिमिया की ओर इशारा करता है।
  • ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने के लिए 15 gram ग्कार्बोहाइड्रेट का सेवन करें। उदाहरण के लिए, 150 ml फलों का रस (एडेड शुगर के बिना), ग्लूकोज से भरपूर तीन हार्ड कैंडीज, 15 gram ग्लूकोज पाउडर आदि। 
  • कार्बोहाइड्रेट को आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने और एबसोर्ब होने के लिए पंद्रह मिनट तक राह देखें।
  • अगर आपके ब्लड शुगर का लेवल 15 मिनट बाद (अपेक्षित रेंज) 90 mg/dl से ऊपर बढ़ गया है, तो फिर से जाॅंच करें।

अगर आपका ब्लड शुगर 90 mg/dl से कम रहता है, तो फस्ट स्टेप दोहराऍं और 15 मिनट और इंतजार करें।

  • आपका ब्लड शुगर लेवल 90 mg/dl से ज्यादा हो जाने पर लगातार एनर्जी देने और ब्लड शुगर की गिरावट से बचने के लिए बैलेंस मील या नाश्ता बेहद जरूरी है। 

याद रखें, रूल 15 केवल लो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए एक गाइडलाइन है, डायबिटीज और हाइपोग्लाइसिमिया के नियंत्रित पर सही गाइडेंस के लिए डायबाटोलॉजिस्ट से बात करें।

भविष्य में आप इंसुलिन के इन साइड इफेक्ट्स को कैसे रोक सकते हैं?

  • अपने भोजन और नाश्ते का समय निश्चित करें और समय के साथ बने रहें।
  • इंसुलिन की सही खुराक, सेवन का समय और प्रेफर्ड डाएट तय करने के लिए अपने डायबिटोलॉजिस्ट और डाइटिशियन के साथ मिलकर काम करें।
  • इंसुलिन खुराक और प्लॅन्ड डाएट का प्रभाव निश्चित करने के लिए अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की रोजाना निगरानी करना न भूलें।
  • वजन बढाऍं।

जब ब्लड शुगर लेवल कैलोरी खपत की कमी के बिना एक निश्चित रेखा के नीचे गिर जाता है, तो वजन बढ़ सकता है। एक डर या हाइपोग्लाइसिमिया का पहला अनुभव कैलोरी सेवन में इस बढ़ोतरी का कारण हो सकता है। 

वजन बढ़ने का एक और कारण शरीर में नमक और पानी का जमा होना है। मेडिकल टर्म में इसे पेरिफेरल एडिमा कहा जाता है। 

आप इंसुलिन के साइड इफेक्ट्स को कैसे रोक सकते हैं? 

इंसुलिन सेंसिटिवीटी को बढ़ाकर इंसुलिन की क्वांटिटी को कम करना सबसे प्रभावी तरीका है। इसे करने के कुछ तरीके यहाॅं दिए गए हैं: 

  • बैलेंस डाएट बहुत जरूरी है।
  • हाइपोग्लाइसिमिया के डर से ज्यादा खाना न खाऍं या बार-बार न खाऍं
  • फिजिकल एक्टिविटी और वर्कआउट करना शुरू करें जिससे एनर्जी का इस्तेमाल हो सकेगा।
  • ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए अपने डायबिटोलाॅजिस्ट के अनुसार एक्स्ट्रा ओरल मेडिकेशन का इस्तेमाल करें।
  • पेरिफेरल एडिमा में फ्लूइड रिवर्सल की इजाजत देने के लिए प्रभावित अंगों को ऊपर उठाऍं। नमकीन खाद्य पदार्थों और जंक फूड से दूर रहें। इंसुलिन की खुराक या अपने डाएट में बदलाव करना है या नहीं, इसे समझने के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह लें ‌

याद रखें, अपनी GLP एनालॉग की तरह इंसुलिन की नई किस्मों में वजन बढ़ने की समस्या नहीं होती है। 

आपको इंसुलिन के लेवल की निगरानी करने, बैलेंस डाएट लेने, फैट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों से दूर रहने, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग पर नियंत्रण रखने और अपने हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए फिजिकली एक्टिव रहने के लिए अपने फिजिशियन के साथ मिलकर काम करना चाहिए। 

FitterTake

ऑंखें उसे देखती हैं जिसे दिमाग जानता है। भले ही इंसुलिन के दुश्प्रभाव बहुत कम हैं, पर उसके साइड इफेक्ट्स से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है उनके बारे में सतर्क रहना और स्मार्ट ढंग से कल्पित बातों का पर्दाफाश करना।

अपनी लाइफस्टाइल में डिसिप्लिन बनाऍं रखें और इंसुलिन के अनावश्यक साइड इफेक्ट्स को रोकने के लिए अपने फिजिशियन और कोच द्वारा बताई गई बातों पर गौर करें। 

अधिक जानने के लिए फिटरफ्लाई के डायबिटीज केयर प्रोग्राम में हमारे विशेषज्ञ डायबिटोलाॅजिस्ट और डाइटिशियन से सलाह लेने पर अवश्य विचार करें। अगर आप अधिक जानना चाहते हैं तो आप सीधे हमारे प्रोग्राम के लिए साइन अप भी कर सकते हैं।

क्या आप अपने डायबिटीज को रिवर्स कर सकते हैं, यह जानने के लिए, हमारे फिटरफ्लाई डायबिटीज रिवर्सल कैलकुलेटर को जरूर आजमाऍं।

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