डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए मछली एक बेहतरीन भोजन का विकल्प हो सकता है। प्रोटीन से भरपूर होने के कारण मछली में डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए जरूरी पोषक तत्व भी होते हैं।
प्रोटीन से भरपूर डाइट आपको भोजन के बाद भी पेट भरा हुआ और संतुष्ट महसूस कराने में मदद करता है। साथ ही, प्रोटीन टिशू निर्माण में और उन्हें ठीक करने में भी मदद करता है।
इसके अलावा, मछली में सैचुरेटेड फैट कम और स्वस्थ ओमेगा-3 फैटी एसिड ज्यादा होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में सूजन कम करने में मदद कर सकता है, जो डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए, जिन्हें सूजन से जुड़ी समस्याओं का खतरा ज्यादा रहता है, फायदेमंद हो सकता है।
हालाँकि, जल प्रदूषण के कारण मछलियों की पौष्टिकता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। अध्ययनों से पता चला है कि मीठे पानी में पाई जाने वाली मछलियों में माइक्रोप्लास्टिक होता है।
ऐसी मछलियों के सेवन से हमारा स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है।
मछली की न्यूट्रिशनल वैल्यू क्या है?
मछली कम फैट वाले हाई क्वालिटी प्रोटीन से भरपूर होती है। आमतौर पर मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन D और विटामिन B-12 जैसे विटामिन का खजाना है। विटामिन के अलावा, मछली कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है।
मछली में आयरन, जिंक, आयोडीन, मैग्नीशियम, और पोटैशियम जैसे अन्य खनिज भी मौजूद होते हैं।
85 ग्राम रॉ बास/कोडुवाई मछली की न्यूट्रिशनल वैल्यू:
पोषक तत्व | मात्रा |
टोटल फैट | 2 ग्राम |
सैचुरेटेड फैट | 0.4 ग्राम |
कोलेस्ट्रॉल | 68 मिलीग्राम |
कुल कार्बोहाइड्रेट | 0 ग्राम |
डाएटरी फाइबर | 0 ग्राम |
प्रोटीन | 15 ग्राम |
कैल्शियम | 13 मिलीग्राम |
आयरन | 0.7 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 218 मिलीग्राम |
मछलियों की न्यूट्रिशनल वैल्यू उनकी प्रजातियों और उनके प्राकृतिक इलाके के आधार पर अलग-अलग होती है।
चूँकि मछली में मौजूद प्रोटीन खाने के ग्लाइसेमिक लोड को कम करने में मदद करता है, इसलिए कार्बोहाइड्रेट के साथ मछली खाने से भोजन के बाद होने वाले ग्लाइसेमिक उछाल को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
मछली विटामिन D से भरपूर होने के कारण डायबिटीज से ग्रसित लोगों को फायदा पहुंचा सकती है। विटामिन D की कमी से इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है।
दिए गए आंकड़ों के अलावा, भारतीय मछलियों में कारखानों से निकलने वाले मलबे में पाए जाने वाले मर्क्युरी और कैडमियम जैसे पदार्थ भी हो सकते हैं, जिससे हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
मछली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स क्या है?
मछली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 0 है, इसका मतलब है कि मछली से ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी नहीं होती क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट नहीं होते हैं।
हाई क्वालिटी प्रोटीन की मौजूदगी से यह बात सुनिश्चित होती है कि व्यक्ति काफी लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस करता है। अपने डाइट में मछली को शामिल करके, ब्लड शुगर लेवल में होने वाली बढ़ोतरी की चिंता किए बिना आप अपने शरीर को जरूरी पोषक तत्व दे सकते हैं।
आपका डायबिटीज रिवर्स
हो सकता है क्या?
डायबिटीज खाने में सबसे अच्छी मछली कौन सी होती है?
डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए भारतीय मछली स्वस्थ डाइट का एक हिस्सा और पौष्टिक भोजन हो सकती है। मछली को अक्सर प्रोटीन और हेल्दी फैट का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो हृदय स्वास्थ्य में सुधार और डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं के खतरे को कम करने के लिए जाना जाता है।
भारत में कई प्रकार की मछलियाँ हैं जो डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए बेहतर मानी जाती हैं।
भारत में निम्नलिखित मछलियाँ डायबिटीज के लिए सबसे बेहतर मानी जाती हैं:
1. रोहू
मीठे पानी में पाई जाने वाली मछली, जो आमतौर पर भारत की नदियों और झीलों से प्राप्त होती है। रोहू प्रोटीन से भरपूर है और इसमें फैट कम होता है, जो डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक लाजवाब भोजन है।
2. हिल्सा
समुंदर में मिलने वाली मछली, जो पूर्वी भारत और बांग्लादेश में विशेष रूप से मशहूर है। ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर हिल्सा मछली डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
3. भारतीय मैकेरल
समुंदर में पाई जाने वाली मछली, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में पाई जाती है। भारतीय मैकेरल प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है, जो डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक सही विकल्प है।
4. पॉम्फ्रेट
समुंदर में पाई जाने वाली मछली, जो आमतौर पर हिंद महासागर से प्राप्त होती है। कम फैट और प्रोटीन से भरपूर पॉम्फ्रेट डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक स्वस्थ और बेहतरीन विकल्प है।
रावस (इंडियन सैल्मन)
पोषक तत्वों का खजाना है। नियमित रूप से इसका सेवन आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है।
जो स्वास्थ्य समस्याएँ ब्लड शुगर लेवल में हुई बढ़ोतरी के कारण आ जाती हैं, उन्हें नियंत्रित करने या उनसे उबरने में भी इंडियन सैल्मन मदद कर सकती है।
मछली के अलावा, डायबिटीज से ग्रसित लोग झींगा, केकड़े, और स्कैल्प्स जैसे क्रस्टेशियन को भी अपने डाइट का हिस्सा बना सकते हैं क्योंकि वे भी बहुत ही बेहतरीन हैं।
शुगर में मछली खाना चाहिए कि नहीं? क्या मछली खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है?
मतौर पर मछली में कार्बोहाइड्रेट नहीं होते हैं, इससे मछली ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकती है। मछली प्रोटीन और ओमेगा-3 फैट से भरपूर होने के कारण डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए स्वस्थ और बैलेंस डाइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है।
डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए मछली बनाते समय मछली पकाने के तरीके में सजगता बरतनी चाहिए। चावल के आटे या रवा में ब्रेड या तली हुई मछली में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा हो सकती है और इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
ठीक इसी प्रकार मीठे सॉस या मसालों के साथ परोसी गई मछली भी ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है।
आमतौर पर डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए बिना चीनी या हाई कार्बोहाइड्रेट सामग्री मिलाकर बनाई गई मछली के बजाय ग्रिल, बेक्ड, करी या ब्रॉइल्ड मछली एक स्वस्थ विकल्प है।
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मछली खाने के फायदे कौन-से हैं?
मछली पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इसे खाने पर कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। अपने डाइट में मछली को शामिल करने के कुछ मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
1. ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर:
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली हृदय और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी है। यह फैटी एसिड सूजन को कम करने, ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने और कोलेस्ट्रॉल लेवल को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
2. प्रोटीन से भरपूर
मछली हाई क्वालिटी प्रोटीन का खजाना है, जो शरीर में मांसपेशियों और टिशू को बनाए रखने और उन्हें ठीक करने के लिए जरूरी है।
3. विटामिन और मिनिरल्स से भरपूर
मछली विटामिन D, विटामिन B12 और सेलेनियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों का भंडार है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए बेहद आवश्यक हैं।
4. हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद
नियमित रूप से मछली खाने पर ब्लड प्रेशर कम होने, ट्राइग्लिसराइड्स में कमी आने और एब्नॉर्मल हार्ट रिदम के खतरे में कमी आने से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
5. डिप्रेशन के खतरे से राहत मिलने में मदद
अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग ज्यादा मछली खाते हैं, उन्हें डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का खतरा कम होता है।
6. बौद्धिक क्षमता के सुधार में मदद
मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड बौद्धिक कार्य को बेहतर बनाता है और अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।
डायबिटीज के रहते क्या आपको कुछ खास मछलियों से दूर रहना चाहिए?
डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए मछलियाँ बहुत सेहतमंद होती हैं। पर आप सैल्मन, मैकेरल और सार्डिन जैसी ऑइली मछलियाँ, जो खासकर ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती हैं, उन्हें ही चुनें।
इसके अलावा, पॉम्फ्रेट, बांगड़ा, सुरमई, रावस और झींगुर जैसी हाई मर्क्युरी वाली मछलियों से बचना बेहतर है।
फिटरफ्लाई में हम आपकी मदद कैसे करते हैं?
मछली को यदि स्वास्थ्यवर्धक तरीके से पकाया जाए, तो डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए यह एक पौष्टिक भोजन का विकल्प बन जाती है। अपने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण मछली डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
मछली एक ऐसा खाद्य विकल्प है जो ब्लड शुगर लेवल में बिना कोई बढ़ोतरी किए पोषण देता है। प्रोटीन से भरपूर और कार्बोहाइड्रेट से रहित मछली ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखती है। साथ ही ओमेगा-3 फैट के साथ हाई क्वालिटी वाले प्रोटीन के कारण मछली से हृदय स्वास्थ्य बेहतर रखने में मदद मिलती है।
अगर आपको डायबिटीज है तो मछली को अपने डाइट में शामिल करने से बिलकुल मत हिचकिचाइए। एक ओर जहाँ ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर कसरत, नींद और स्ट्रेस का प्रबंधन करना भी उतना ही जरूरी है।
अगर आपको अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण लग रहा है, तो हम आपके साथ हैं। हमारा विश्वसनीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तैयार हुआ डायबिटीज कंट्रोल प्रोग्राम, फिटरफ्लाई का डायबिटीज केयर प्रोग्राम आपकी मदद कर सकता है।
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