स्ट्रेस आपके डायबेटीस के लिये कैसे हानिकारक है?
करीब 66% लोगों को टाइप 2 डायबेटीस और हाय लेवल स्ट्रेसकी समस्या हैं| स्ट्रेस से डायबेटीस हो सकता हैं और डायबेटीस होने से स्ट्रेस आ सकता हैं| आपका स्ट्रेस नियंत्रित रखने से आपका डायबेटीस भी नियंत्रित रहता हैं|
स्ट्रेस क्या हैं?
किसी भी परिस्थिति को आप का शरीर और मन जिस तरह स्वीकारता हैं उसे स्ट्रेस कहते हैं| यह अस्थायी हो सकता हैं| जैसे कि ऑफिस में होने वाली मीटिंग के बारे में चिंता करना अथवा प्रेझेंटेशन से पहले स्ट्रेस महसूस होना अथवा यह स्ट्रेस कोई दुर्घटना या बीमारी की वजह से भी हो सकता हैं|
शायद आपको पैसों की या पारिवारिक रिश्तों की या किसी अपने के गुजर जाने की चिंता सताती होगी| स्ट्रेससे आपका भावनिक, शारीरिक और मानसिक नुकसान होता हैं| स्ट्रेसकी वजह से ज्यादा खाना कैसे रोके?
ज्यादा स्ट्रेस से आपका डायबेटीस ५ विभिन्न प्रकार से गंभीर हो सकता हैं
1. स्ट्रेससे आपके ब्लड शुगर लेव्हल्स बढ़ जाते हैं|
जब आप तनावपूर्ण परिस्थिति में होते हो तो आपके शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेननाइल यह हार्मोन्स निर्माण होते हैं| यह हार्मोन्स आपके शरीर को तनावी परिस्थिति से बाहर निकालने के लिए मदद करता हैं|
इससे आपका हार्ट रेट और सांसों की गति बढ़ जाती हैं| स्ट्रेस में शरीर को ज्यादा ऊर्जा की जरुरत होती
हैं| इसलिए खून में ज्यादा शक्कर बढ़ जाती हैं और जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती हैं| इससे ब्लड शुगर लेव्हल्स बढ़ जाते हैं|
2. स्ट्रेससे शरीर के मेटापोलिझम पर असर होता हैं|
जब आप पुराने स्ट्रेससे झुंज रहे होते हो तब आपका वजन थोडा बढ़ जाता हैं| विशेष रूप से आपका पेट बढ़ जाता हैं| इसे ‘स्ट्रेस बेली’भी कहते हैं| यह इसलिए होता हैं क्योंकि खून में कोर्टिसोल बढ़ जाने के बाद आपकी भूख बढ़ती हैं | इससे आपको नमकीन, मीठा और चरबी युक्त खाना कहने की इच्छा होती हैं| इसलिए आप बेवक्त कुछ भी खाते रहते हो और आपका वजन बढ़ जाता हैं|
3. स्ट्रेससे इन्शुलिन रेजीस्टन्स बढ़ता हैं|
इन्शुलिन हार्मोन से आपके शरीर में शक्कर की मात्रा नियंत्रित होती हैं| लेकिन सालों से चले आ रहे स्ट्रेसकी वजह से और कोर्टिसोल लेव्हल ज्यादा होने की वजह से आपके यकृत में इन्शुलिन निर्माण होना बंद हो जाता हैं और इससे शरीर में मौजूद ज्यादा ग्लूकोज का ऊर्जा में परिवर्तित होना भी बंद हो जाता हैं|
इस वजह से शक्कर की मात्रा बढती हैं और सेहत बिगड़ जाती हैं| इस इन्शुलिन रेजीस्टन्स की वजह से प्री–डायबेटीस होने की संभावना होती हैं| या फिर अगर आपको पहले से डायबेटीस हैं तो स्ट्रेससे हालात और बिगड़ते हैं|
4. स्ट्रेससे नींद पर असर होता हैं जिससे ग्लूकोज की मात्रा बिगड़ती हैं|
स्ट्रेससे डर उत्पन्न होता हैं जिससे रात को अच्छी नींद नहीं आती| एक संशोधन के तहत यह माना जाता हैं कि इन्सान को कम से कम छह घंटे की नींद मिलना जरुरी हैं|
अगर आप छह घंटे से कम हर रोज सोते हो तो इससे ग्लूकोज की मात्रा बिगड़ती है| जिससे शरीर में निर्माण होने वाले ज्यादा ग्लूकोज का शरीर उपयोग नहीं कर पाता| इससे टाइप २ डायबेटीस की मात्रा बढती हैं|
5. स्ट्रेससे लाइफस्टाइल घटकों पर असर होता हैं|
ज्यादा स्ट्रेसके कारन हम ज्यादा और असेहत मंद खाना खाने लगते हैं, एकसरसाइज की कमतरता होती हैं| धूम्रपान और मद्यपान की मात्रा बढती हैं|
साथ ही आपके मन में आते हुए नकारात्मक विचारों के कारण उनसे छुटकारा पाने के लिए आप ऐसी चींजे करने लगते हो| इन लाइफस्टाइल आदतों की वजह से टाइप २ डायबेटीस का खतरा होता हैं और हालात बुरे होते हैं|
क्या स्ट्रेस के कारण डायबेटीस होता हैं?
इसपर कई संशोधन जारी हैं| लेकिन स्ट्रेससे टाइप २ डायबेटीस का खतरा होता हैं इसके कई साबुत भी पाए जाते हैं|
स्ट्रेस हार्मोन्स के बढ़ने से यकृत इन्शुलिन निर्माण करना बंद कर देता हैं और उसके हालात बिगड़ते हैं या बहुत स्ट्रेसहोने के कारण लोग ज्यादा खाते हैं और अपना वजन बढ़ा लेते हैं| इन सारे चीजों के कारण डायबेटीस या डायबेटीस का खतरा होता हैं|
क्या केवल नकारात्मक स्ट्रेसही आपके ब्लड शुगर पर असर करता हैं?
नहीं| जीवन में हुए सकारात्मक बदलाओं से भी ब्लड शुगर की मात्रा बढती हैं| उदा. शादी की तैयारियां करना, नए शहर में जाकर रहना अथवा नौकरी में प्रमोशन मिलना ऐसे ख़ुशी के मौकों पर भी स्ट्रेसके हार्मोन्स आपके खून में बढ़ जाते हैं और ब्लड शुगर भी बढ़ता हैं| इसका मतलब अगर आपको डायबेटीस हैं या डायबेटीस होने का खतरा हैं तो जीवन में होने वाले बदलाओं के साथ अपने शुगर पर भी ध्यान दे|
ऊपर के विभाग में हमने आपको स्ट्रेससे टाइप २ डायबेटीस कैसे होता हैं या उसके हालात कैसे बिगड़ते हैं यह समझाने की कोशिश की हैं| लेकिन डायबेटीस होने से या उसको नियंत्रित रखने के लिए कोशिश करना भी कई लोगों को तनावपूर्ण और भावनिक स्ट्रेस बढ़ाने वाला लगता हैं|
उदा. हालही में किए गए एक अभ्यास के तहत सौ मरीज टाइप २ डायबेटीस के शिकार थे जिनमे से ६६% मरीजों को भावनिक दबाव क कारण डायबेटीस हुआ था| उनका डायबेटीस उनको भावनिक रूप से भी उजाड़ रहा था| इससे इन मरीजों को डायबेटीस ही एक बोझ लग रहा था|
और ५२% मरीजों को सर्वोच्च स्ट्रेस था जिसमे लाइफस्टाइल बिहेविअर्स जैसे की खाने पर कड़ी नजर, रोजाना एकसरसाइज, आराम के लिए वक्त निकालना, वक्त पर दवाईयां लेना, नियमित रूप से ब्लड शुगर लेव्हल्स चेक करना इन सबका समावेश था और इन सारी बातों से इन्सान को बहुत ज्यादा स्ट्रेसहो सकता हैं|
साथ ही कुछ डायबेटीस से घिरे हुए लोग हायपोग्लायसेमिया की चिंता करते हैं| (यह एक ऐसी परिस्थिति है जिसमे आपकी ब्लड शुगार ७० mg / dL तक कम हो जाती हैं|) हायपो की चिंता और उसके व्यवस्थापन की चिंता से स्ट्रेस और बढ़ सकता हैं| इसको हायपो एन्झायटी कहते हैं|
FitterTake
अगर आपको डायबेटीस हैं तो स्ट्रेस व्यवस्थापन का मतलब केवल आराम करना नहीं बल्कि आपकी ब्लड शुगर भी नियंत्रित रखना हैं| स्ट्रेससे ब्लड ग्लूकोज के लेव्हल्स में बेबनाव होता हैं तो वह ठीक भी हो सकता हैं|
इस बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए प्रोग्राम एडवाइजर से बात करें| कृपया हमें सम्पर्क करें 08069450746 |
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