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हाइपोग्लाइसीमिया: डायबिटीज कंट्रोल के लिए जानकारी और समाधान

Published on: Jul 19, 2023
6 min Read
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Medically Reviewed

Dr. Vidya Jaydeep Walinjkar

Diabetologist
हाइपोग्लाइसीमिया डायबिटीज कंट्रोल के लिए जानकारी और समाधान
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डायबिटीज  के साथ जीते समय अनेक समस्याएँ आती हैं। उसमें से सबसे बड़ी चुनौती है हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia)। हाइपोग्लाइसीमिया का मतलब है लो शुगर (Low Sugar)।

आपका डायबिटीज, टाइप 1  का हो या टाइप 2 का, ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना बहुत पेचीदा काम है। हाइपोग्लाइसीमिया के साथ डर और चिंता डायबिटीज कंट्रोल करने में समस्या पैदा करती है।  इसके कारण आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं रह सकता।    

डायबिटीज रिवर्स करना है?

उचित जानकारी और रूपरेखा तैयार करने से आपको लो शुगर की समस्या का हल अवश्य मिल सकता है जो आपके दैनिक जीवन को अवरुद्ध करती हैं।

 इस ब्लॉग से हम डायबिटीज और हाइपोग्लाइसीमिया का गहराई से अध्ययन कर इससे होने वाली समस्याओं को कैसे हरा सकते हैं, इस बारे में समझाऍंगे, साथ ही अपने जीवन को अत्यधिक संतोष के साथ जीने के लिए सक्षम करेंगे।

हाइपोग्लाइसीमिया या लो शुगर – क्या है ?  

हाइपोग्लाइसीमिया को लो शुगर के नाम से भी जाना जाता है। आपका डायबिटीज चाहे  टाइप 1  या टाइप 2 का हो, डायबिटीज से ग्रसित लोगों में पाई जानेवाली यह आम बात है। हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है ब्लड शुगर लेवल 70mg/dl  से भी कम हो जाता है। इससे मरीज को काफी नुकसान हो सकता है।  

यह समस्या गंभीर तब बन जाती है, जब आपका ब्लड शुगर लेवल 54mg/dl से भी कम हो जाता है। उस समय मरीज को मदद की जरूरत पड़ती है। 

मरीज जब ट्रीटमेंट के हिस्से के रूप में ,ओरली मेडिसिन्स (Oral Medication) या इंसुलिन इंजेक्शन (Insulin Injection) ले रहा हो, तब भी  हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। 

इसके अलावा, हाइपोग्लाइसीमिया के घटनाओं से डर और चिंता जैसे शारीरिक और मानसिक चुनौतियाँ भी आती हैं। यह डर एक बैरियर बन जाता है, जिससे मरीज़ अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में कठिनाई महसूस करते हैं।

जागरूकता की कमी से हाइपोग्लाइसीमिया खतरनाक हो सकता है और जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकती है। इसे रोकने का एकमात्र उपाय है मरीजों का शिक्षित करना। 

 व्यक्ति की उम्र, हाइपोग्लाइसीमिया की गहराई आदि कारणों से हर मरीज में हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। 

जैसे – बच्चों में इमोशनल और बीहेवियरल बदलाव (Behavioural changes) के साथ क्लासिक ऑटोनोमिक ,न्यूरोग्लायकोपेनिक लक्षण (classic autonomic and neuroglycopenic symptoms) नजर आते हैं। 

  • ऑटोनोमिक लक्षण  – इसमें चिंता, कपकपी, तेज धड़कन, पसीना छूटना और भूख लगना जैसे लक्षण पाए जाते हैं। 
  • न्यूरोग्लायकोपेनिक लक्षण –  ब्रेन में ग्लूकोज की कमी के कारण एकाग्रता में कमी, सिरदर्द, धुंधली नजर, चक्कर आना, भ्रम, बोलने में मुश्किल, बेचैनी आदि लक्षण नजर आते हैं। यहाँ तक कि मरीज अपना होश खो बैठता है। 

आम तौर पर ऐसे लक्षण तब पाए जाते हैं जब ब्लड शुगर लेवल 54 mg/dl से भी कम हो जाता है। 

हाइपोग्लाइसीमिया के खतरे के क्या कारण हो सकतें है ? कुछ कारण इस प्रकार हैं, जैसे कि – 

  1. इंसुलिन, सल्फोनीलूरिया (Sulfonylurea) या ग्लिनाइड्स (Glinide) जैसी दवाइयों का हैवी डोज़ समय पर भोजन के साथ न लेना।   
  2. बहुत कम कार्बोहैड्रेट्स वाला भोजन करना। बहुत लंबे समय तक पेट खाली रखने से शरीर का ग्लूकोज़  निर्माण करने की शक्ति कम होना।  
  3. हैवी एक्सरसाइज करने के बाद हाइपोग्लाइसीमिया का अनुभव होना। 
  4. इंसुलिन एक्सक्रेशन (Insulin excretion) में कमी का अनुभव करना, जैसे किडनी फेलियर, लिवर फेलियर, या थायराइड समस्याओं की वजह से हो सकता है।

हाइपोग्लाइसीमिया से क्या परिणाम हो सकते हैं ? 

डायबिटीज से ग्रसित मरीजों के लिए हाइपोग्लाइसीमिया शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बनता है । इससे गाडी चलना, सीखना, एकाग्रता, निर्णय लेना जैसे रोजमर्रा के कामों  पर असर पड़ता है जो ऐंठन ,होश खो बैठना, न्यूरोलॉजिकल कमी या आघात में भी परिवर्तित हो सकता है।

हाइपोग्लाइसीमिया में होनेवाली बेहोशी, हाइपोग्लाइसीमिया के प्रति अनभिज्ञता के कारण है। 

हाइपोग्लाइसीमिया के लिए कौनसा उपचार है ? 

 ”रूल ऑफ़ 15” (Rule of 15) एक प्रभावी तरीका है, जो हाइपोग्लाइसीमिया को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में आपकी मदद करता है। 

ये निम्न प्रकार से काम करता है – 

”रूल ऑफ 15′‘ 

  1. ग्लूकोमीटर की सहायता से अपने  ब्लड शुगर लेवल की जाँच कर यह सुनिश्चित करें कि वह 70mg/dL के नीचे तो नहीं है और अगर है तो वह हाइपोग्लाइसीमिया को सूचित करेगा। 
  2. अपना ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के लिए 15 ग्राम कार्बोहिड्रेटस का सेवन करें | जैसे कि – 15 ग्राम ग्लूकोज पाउडर, 3 ग्लूकोज बिस्कुट्स, 3 हार्ड कैंडीज, 150 ml फलों का रस (बिना शक्कर) आदि|
  3. अब पंद्रह मिनिट कार्बोहिड्रेटस को अपने शरीर में घुलने और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का इंतजार करें।
  1. पंद्रह मिनिट के बाद ब्लड शुगर लेवल 90 के ऊपर तक पहुँची है या नहीं (जो आपका लक्ष्य है) इसकी  फिर से जाँच करें। 

आपका ब्लड शुगर लेवल अब भी अगर 90 के नीचे हो तो आवश्यकता के अनुसार दोबारा 15 ग्राम कार्बोहिड्रेटस का सेवन कर पुनः पंद्रह मिनिट इंतजार करें। 

5.एक बार आपका ब्लड शुगर लेवल  90 के ऊपर जाने पर  निरंतर ऊर्जा प्रदान करने के लिए और ब्लड शुगर लेवल में बाद में होनेवाली गिरावट को रोकने के लिए संतुलित भोजन का सेवन आवश्यक है।  

 याद रखें, “रूल ऑफ 15” लो ब्लड शुगर को नियंत्रित करनेवाला एक मार्गदर्शक है, और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से डायबिटीज नियंत्रण और हाइपोग्लाइसीमिया पर व्यक्तिगत सलाह लेना आवश्यक है।

हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव कैसे करें?

1.मरीजों को शिक्षित करना

  • आप और आपके इर्द-गिर्द के लोग हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण आसानी से पहचान सकते हैं।
  • अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से इसके गंभीर परिणाम और उपचार के विकल्पों पर चर्चा करें।
  • शराब का सेवन, ज्यादा एक्सरसाईज, भोजन न करने से संभावित ख़तरों को समझें।
  • लो ब्लड शुगर लेवल से निपटने के लिए हमेशा अपने साथ ग्लूकोज या कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर स्नॅक्स रखें।

2. परिपूर्ण आहार: कार्बोहाइड्रेट्स का संतुलन ब्लड शुगर पर नियंत्रण

  • ब्लड शुगर लेवल पर कार्बोहाइड्रेट्स का होने वाला परिणाम अवश्य समझिए।
  • इंसुलिन के समय को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति के अनुसार भोजन पद्धति तैयार करें।
  • सोते समय विशेषकर टाइप 1 डायबिटीज में रात में होने वाले हाइपोग्लाइसीमिया को रोकने के लिए खाने का उचित प्रबंध करें।

3. सावधानीपूर्वक एक्सरसाईज कीजिए: ब्लड शुगर पर नियंत्रण पाइए

  • एक्सरसाईज करने से पहले और एक्सरसाईज के बाद अपने ब्लड शुगर लेवल की जाॅंच करें।
  • हाइपोग्लाइसीमिया को रोकने के लिए पहले से ही थोड़ा-थोड़ा खाना खाइए।
  • एक्सरसाईज करते समय शरीर में शीघ्र घुलने वाले कार्बोहाइड्रेट्स या ग्लूकोस अपने साथ रखें।
  • अपनी इंसुलिन की मात्रा के अनुसार एक्सरसाईज करें।

4. ग्लूकोस मॉनिटरिंग का साथ निभाऍं: हाइपोग्लाइसीमिया का तुरंत पता लगाऍं

  • अपने ब्लड शुगर लेवल की खुद  नियमित रूप से जाॅंच करें।
  • अपने ब्लड शुगर लेवल की जाॅंच कभी-कभी भोजन से पहले, भोजन के बाद, सोने से पहले या प्रातः 3:00 बजे, साथ ही गाड़ी चलाने से पहले,हाइपोग्लाइसीमिया का उपचार करने के बाद और जब भी आपको लो ब्लड शुगर का संदेह हो तब तब अवश्य करें।
  • वास्तविक ग्लूकोज के मेज़रमेंट को जानने के लिए हमेशा ग्लूकोज की जाँच कीजिए।

5. दवाइयों का नियोजन : खतरों का समापन

  • डायबिटीज का पता लगने पर अपने डॉक्टर से बातचीत करें और फॉलोअप बनाए रखें।
  • खुद से दवाएँ न लें अथवा डोस में परिवर्तन न करें।
  • घरेलू उपचार सावधानी से करें।
  • इंसुलिन के लिए किसी अन्य विकल्प पर चर्चा करें जिससे हाइपोग्लाइसीमिया कम होने में मदद मिले।
  • आवश्यकता के अनुसार दवाइयों को कम या बंद करें।

इन पद्धतियों को अपनाऍं और हाइपोग्लाइसीमिया को रोककर स्थिर ब्लड शुगर लेवल बनाए रखें।

याद रखें,अपने डायबिटीज नियंत्रण के लक्ष्य को पाना है तो जानकार सतर्क रहना और सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है।

FitterTake 

डायबिटीज के परिणाम कारक नियंत्रण के लिए हाइपोग्लाइसीमिया को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने इतनाही यह जरुरी है

हालांकि कुछ हद तक, डायबिटीज से ग्रसित लगभग हर व्यक्ति को हाइपोग्लाइसीमिया का सामना करना पड़ता है।

अगर आप परिपूर्ण आहार, सावधानीसे एक्सरसाईज, नियमित ग्लूकोज जांच और दवाइयों का नियोजन अच्छी तरह से करेंगे तो हाइपोग्लाइसीमिया को नियंत्रित करना आसान हो सकता है।

आप हाइपोग्लाइसीमिया को रोक सकते हैं और ब्लड शुगर लेवल की स्थिरता को बनाए रख सकते हैं।

Fitterfly’s Diabetes Care Program, आपके सामने आहार विशेषज्ञों , फिजियोथैरेपिस्ट और सक्सेस कोच द्वारा तैयार किया गया व्यापक डायबिटीज नियंत्रण प्रोग्राम है।

इसके कारण हम हाइपोग्लाइसीमिया के खतरे और परिणामों कम कर संपूर्ण डायबिटीज नियंत्रण को बेहतर बना सकते हैं।

हमसे बात करें और हम आपकी सहायता किस प्रकार कर सकते हैं इस संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमसे मुफ्त परामर्श अवश्य लीजिए। कृपया हमें सम्पर्क करें 08069450746 |

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