डायबिटीज के प्रकार, लक्षण, कारण, और उपचार |

डायबिटीज क्या है?
हाई ब्लड शुगर लेवल का मतलब है डायबिटीज। अगर समय पर उपचार नहीं किए तो डायबिटीज शरीर के विभिन्न अंगों में गंभीर समस्याऍं निर्माण कर सकता है।
भारत में 2023 में 101 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं, ये ऑंकड़ें लोगों में डायबिटीज के प्रति जागरूकता और उसे नियंत्रित करने की अत्यावश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
डायबिटीज के अलग-अलग प्रकार, उसके लक्षण, कारण, रिस्क फैक्टर्स, मुश्किलें, उपचार और उसे रोकने के बारे में पता इस लेख में करते हैं।
डायबिटीज के प्रकार
1. टाइप 1 ( युवाओं में डायबिटीज)
इसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन पैदा नहीं करता, और ये बच्चों, युवाओं और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है। यह बहुत कम पाया जाता है, डायबिटीज के सभी केसेस में 5% से 10%
2. टाइप 2 (डायबिटीज मेलिटस)
लंबे समय से चली आ रही लाइफस्टाइल है, जिसमें या तो शरीर पर्याप्त इंसुलिन पैदा नहीं करता अथवा सेल्स उसे पैदा करने में विरोध करती हैं। इस टाइप का डायबिटीज आम बात है और ये ग़लत लाइफस्टाइल आदतों से संबंधित है।
3. गर्भकालीन डायबिटीज
यह प्रेग्नेंसी के दरम्यान उभर कर आता है और इसके लक्षण नजर नहीं आते। बाद में जीवन में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
4. वयस्कों में सुप्त अटोइम्यून डायबिटीज ( LADA)
LADA में टाइप 1 डायबिटीज के समान लक्षण नजर आने के कारण यह टाइप 1.5 डायबिटीज के नाम से जाना जाता है, पर इसमें प्रोग्रेस बहुत धीमी गति से होता है। तीस वर्ष के आसपास इसका पता चलता है।
5. युवाओं की मॅच्युरिटी के दरम्यान डायबिटीज (MODY)
इस प्रकार का डायबिटीज बहुत रेअर है जो जेनेटिक म्यूटेशन से इंसुलिन निर्माण प्रभावित होने से किशोरावस्था में नजर आता है।
6. नवजात शिशुओं में डायबिटीज
इस प्रकार का डायबिटीज छह महीने से कम उम्र के नवजात शिशुओं में सिंगल जेन म्यूटेशन के कारण होता है, जिससे जन्मजात डायबिटीज हो जाता है। तुरंत उपचार से सुधार हो सकता है।
डायबिटीज के अन्य प्रकार जिसमें ड्रग-इंड्यूस्ड, जेनेटिक डिसोर्डर के कारण डायबिटीज और पैंक्रियाटिक डायबिटीज भी शामिल हैं। अनियंत्रित डायबिटीज भयानक रूप ले सकता है, जो ब्लड शुगर लेवल में हुए अनपेक्षित उतार – चढ़ाव से समझा जा सकता है।
डायबिटीज के लक्षण
डायबिटीज के सामान्य लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक भूख-प्यास लगना, थकान, धुंधली नजर, घाव भरने में देरी होना, वजन घटाना, हाथ- पैर सुन्न पड़ जाना आदि शामिल हैं। टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण आमतौर पर बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों में अचानक दिखाई दे ते हैं, जबकि टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण बूढ़े व्यक्तियों में धीरे-धीरे दिखाई देते हैं।
आपका डायबिटीज रिवर्स
हो सकता है क्या?
इसके अलावा डायबिटीज के कुछ लक्षण प्री-डायबिटीज की ओर इशारा कर सकते हैं जैसे कि एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स, जिससे काले, मखमली धब्बे कोहनी और गर्दन के आसपास नजर आते हैं।
डायबिटीज के कारण
प्रत्येक उपप्रकार के लिए डायबिटीज के कारण अलग-अलग होते हैं:
1. टाइप 1 डायबिटीज
हाॅंलाकि डायबिटीज के इस प्रकार का निश्चित कारण पता नहीं है, लेकिन ऐसे माना जाता है कि यह एक अटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण इंसुलिन पैदा करनेवाली पैंक्रियाटिक सेल्स को नुकसान पहुॅंचाती है। जेनेटिक फैक्टर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. टाइप 2 डायबिटीज
इस प्रकार के डायबिटीज के कुछ सामान्य कारणों में मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध, फैमिली हिस्ट्री और जेनेटिक्स शामिल हैं।
3. गर्भकालीन डायबिटीज
इस प्रकार का डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन और वजन बढ़ने से होता है, इससे सेल्स इंसुलिन प्रतिरोध करती हैं।
4. LADA
टाइप 1 के समान होता है। LADA मूलतः अटोइम्यून है जिससे इंसुलिन की कमी हो जाती है।
5. प्री-डायबिटीज
इंसुलिन प्रतिरोध और मेटॅबॉलिक गड़बड़ी के कारण यह स्थिति निर्माण होती है।
डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स
अलग-अलग प्रकार के डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स भी अलग-अलग होते हैं:
1. टाइप 1
इसमें फैमिली हिस्ट्री और उम्र शामिल हैं, और मुख्य रूप से बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है।
2. टाइप 2
इसमें प्री-डायबिटीज, मोटापा, 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र, फैमिली हिस्ट्री, शारीरिक निष्क्रियता, गर्भावस्था में डायबिटीज हिस्ट्री और नाॅन- अल्कोहोलिक फैटी लीवर डिसीजन जैसे रिस्क फैक्टर्स शामिल हैं।
3. गर्भकालीन डायबिटीज
इसमें गर्भावस्था में गर्भकालीन डायबिटीज की हिस्ट्री का होना, मोटापा, पच्चीस वर्ष से अधिक उम्र, PCOS जैसे हार्मोनल डिसीजेस जैसे रिस्क फैक्टर्स शामिल हैं।
4. प्री-डायबिटीज
इसमें मोटापा, पैंतालीस वर्ष या उससे अधिक उम्र, फैमिली हिस्ट्री, शारीरिक निष्क्रियता, गर्भावधि में डायबिटीज होना, नियमित शारीरिक एक्सरसाइज की कमी जैसे रिस्क फैक्टर्स शामिल हैं।
5. LADA
मोटापा, जन्म के समय कम वजन, शारीरिक एक्सरसाइज की कमी, सायकोसोशल स्ट्रेस रिस्क फैक्टर्स को बढ़ा सकते हैं।
डायबिटीज की जटिलताऍं
अनियंत्रित डायबिटीज लंबे समय तक गंभीर समस्याऍं निर्माण कर सकता है।
लंबे समय तक की समस्याऍं:
- डायबिटिक रेटिनोपैथी ( ऑंख की समस्या)
- नर्व डैमेज ( डायबिटिक न्यूरोपैथी)
- पैरों की समस्याऍं, उपचार न किए गए तो पैर काटने की नौबत आ सकती है।
- हृदय रोग या स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधित समस।यआऍं
- किडनी की समस्याऍं ( डायबिटिक नेफ्रोपैथी)
- मसूड़ों की समस्याऍं
- यौन और प्रजनन संबंधित समस्याऍं
- गंभीर समस्याऍं
- हायपोग्लाइसेमिया ( ब्लड शुगर का कम होना)
- हाइपरोस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक स्थिति (HHS) जीवन के लिए खतरे की स्थिति
- डायबिटिक कीटोएसिडोसिस ( DKA) जीवन के लिए खतरे की स्थिति
डायबिटीज का निदान
डायबिटीज के इलाज के लिए हेल्थकेयर प्रोवाइडर आमतौर पर तीन टेस्ट्स करते हैं।
1. फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज लेवल टेस्ट
यह टेस्ट रातभर के फास्टिंग के बाद किया जाता है, टेस्ट के अगर दो अलग-अलग नतीजे नजर आए जिसमें ब्लड ग्लूकोज लेवल 126 mg/dl या इससे अधिक दिखाई दे तो टेस्ट डायबिटीज की ओर इशारा करता है।
2. HbA1C टेस्ट
यह टेस्ट तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल के औसत को बताता है। 6.5% या अधिक ब्लड शुगर लेवल निश्चित रूप से डायबिटीज की ओर इशारा करता है।
3. ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट ( OGTT)
75 ग्राम ग्लूकोज से युक्त मीठा पेय पीने के दो घंटे बाद यह टेस्ट किया जाता है। ब्लड शुगर लेवल 200 mg/dl या उससे अधिक है तो निश्चित डायबिटीज है।
डायबिटीज जाॅंच की सिफारिश अधिक वजन वाले लोगों, हाई ब्लड प्रेशर वाले, पीसीओएस ( PCOS) या बांझपन, और गर्भवती महिलाओं को हर तीन महीने बाद, की जाती है।
बच्चों में डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज बच्चों में मोटापे के कारण तेजी से बढ़ रहा है। बच्चों में डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए माता-पिता एक्सरसाइज से परिपूर्ण हेल्दी लाइफस्टाइल, संतुलित भोजन और उनके स्क्रीन समय को सीमित रखा सकते हैं।
बच्चों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज का उपचार और नियंत्रण अलग-अलग हो सकता है।
डायबिटीज का उपचार और नियंत्रण
ब्लड शुगर लेवल को नियमित रखना और डायबिटीज से संबंधित मुश्किलों को रोकना, डायबिटीज को नियंत्रित रखने का मुख्य उद्देश्य है। टाइप के अनुसार उपचार अलग-अलग हैं:
1. टाइप 1 डायबिटीज
इसमें इंसुलिन इंजेक्शन, लाइफस्टाइल में बदलाव और नियमित जाॅंच शामिल हैं।
2. टाइप 2 डायबिटीज
इसमें दवाऍं, वजन नियंत्रण, संतुलित भोजन और नियमित एक्सरसाइज शामिल हैं।
3. LADA
इसमें शुरुआत में टाइप 2 डायबिटीज की तरह इलाज किया जाता है, सी-पेप्टाइड लेवल पर आगे का इलाज तय किया जाता है।
4. प्री-डायबिटीज
इसमें लाइफस्टाइल में बदलाव और जरूरत के अनुसार डॉक्टर ने बताई हुई दवाइयाॅं शामिल हैं।
5. गर्भकालीन डायबिटीज
इसमें लाइफस्टाइल में बदलाव और बहुत ध्यान रखना जरूरी है।
डायबिटीज की रोकथाम
डायबिटीज को रोकने के लिए असरदार वजन नियंत्रण, नियमित एक्सरसाइज, संतुलित भोजन जरूरी है और स्मोकिंग एवं शराब पीने से दूर रहना आवश्यक है।
डायबिटीज का इलाज
डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है पर ठीक नहीं किया जा सकता। उसके लिए लंबे समय तक नियंत्रण और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की मदद से बेहतर इलाज किया जा सकता है।
डायबिटीज के लिए डॉक्टर से कब मिलें
अगर डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का पता चला तो डॉक्टर से सलाह लें। डायबिटीज के बेहतर नियंत्रण के लिए नियमित जाॅंच और डायबिटीज केयर टीम के साथ सहयोग आवश्यक है।
FitterTake
आज जबकि टाइप 2 डायबिटीज एक व्यापक रूप से प्रचलित बीमारी है। डायबिटीज के कई अलग-अलग प्रकार हो सकते हैं, जो अलग-अलग उम्र को प्रभावित कर सकता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज एक लंबे समय से चली स्थिति है जो आपके जीवनकाल में फैलती है, टाइप 1 डायबिटीज अटोइम्यूनिटी के कारण होता है।
डायबिटीज के प्रकार होने के बावजूद, हर व्यक्ति को उससे होनेवाली मुश्किलों को रोकने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता है। अपने ब्लड शुगर लेवल को नियमित बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम के साथ काम करना जरूरी है।
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की जानकारी चाहिए?
क्लीनिकल शब्द डायबिटीज रेमिशन है।



