क्या गेहूं मधुमेह के लिए अच्छा है?

भारत में सबसे अधिक खाए जाने वाले अनाजों में से एक गेहूँ है। हर भारतीय हर रोज इसका सेवन रोटी, पराठा, थेपला, ब्रेड, पास्ता, बिस्कुट और नमकीन के रूप में करता है।
हालाँकि यह सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले अनाजों में से एक है और डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए चावल की तुलना में गेहूँ अक्सर एक स्वस्थ अनाज माना जाता है। गेहूँ पाचन में मदद करता है और हृदय रोग से बचाता है, साथ ही आपको स्वस्थ वजन बनाए रखने में भी मदद करता है।
गेहूँ से मिलने वाले फायदों के बावजूद, कभी-कभी हमें आश्चर्य होता है कि गेहूँ डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए बेहतर है!
आइए, गेहूँ के न्यूट्रीशनल वैल्यू को और यह ब्लड शुगर लेवल को कैसे प्रभावित करता है इसे समझें।
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गेहूँ का न्यूट्रीशनल वैल्यू क्या है?
नुट्रिएंट | नुट्रिएंट वैल्यू (100 g) |
कैलोरी | 320 kcal |
कार्बोहाइड्रेट | 64 g |
प्रोटीन | 10 g |
टोटल फैट | 1.53 g |
फाइबर | 11.36 g |
गेहूं का ग्लाइसेमिक इंडेक्स
होल गेहूँ के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) 45 है, जबकि इसका ग्लाइसेमिक लोड (GL) 26.8 है। गेहूँ का कम GI डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए अनाज का एक अच्छा विकल्प है।
हालाँकि गेहूँ में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा के कारण, आपको खुद के गेहूँ के सेवन पर नजर रखनी चाहिए।
गेहूँ के सेवन पर नजर रखने के साथ-साथ, आपको अपने पूरे भोजन के ग्लाइसेमिक लोड को कम करने के लिए अपने डाएट में भरपूर फाइबर और प्रोटीन को शामिल करना निश्चित करना चाहिए। hjkl;’j न छानें क्योंकि इससे गेहूँ के आटे की फाइबर की मात्रा कम हो सकती है। GI जो ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करता है उसे फाइबर कम करता है।
गेहूँ जितना कम प्रोसेस्ड होगा, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए उतना ही बेहतर विकल्प होगा।
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हो सकता है क्या?
डायबिटीज में गेहूँ के अन्य स्वास्थ्य कर लाभ क्या हैं?
डायबिटीज में गेहूँ से होनेवाले असर को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि गेहूँ लगभग सभी भारतीय घरों में मुख्य अनाज है। होल व्हीट का आटा ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी का कारण नहीं बनता जितना कि चावल ब्लड शुगर और शरीर में फैट लेवल में बढ़ोतरी का कारण बनता है।
ग्लूकोज लेवल और शरीर में फैट लेवल को नियंत्रित करने के अलावा, गेहूँ में मौजूद फाइबर इसे हीरो बनाता है। इससे मिलने वाले लाभ कुछ इस प्रकार हैं:
- लंबे समय से चलनेवाली बीमारियों के खतरे को कम करता है।
- आपके हृदय स्वास्थ्य को प्रभावी ढंग से संभालने में आपकी मदद करता है।
- गेहूँ मौजूद हाई फाइबर से पेट तुरंत खाली होने में समय लगता है। इससे लंबे समय तक आपका पेट भरा हुआ होता है।
- कैंसर के खतरे को कम करता है।
- हड्डियों को मजबूत बनाता है।
डायबिटीज में गेहूँ का सेवन कैसे करें?
दुनिया भर में सबसे मशहूर अनाज गेहूँ का सेवन डायबिटीज से ग्रसित लोग कई तरीके से कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- रोटी/चपाती: आमतौर पर गेहूँ के आटे का इस्तेमाल रोटी या चपाती बनाने में किया जाता है, जो कई भारतीयों का मुख्य भोजन है।
- दलिया: टूटे हुए गेहूँ से बना फाइबर से भरपूर दलिया एक पौष्टिक और भरपेट भोजन का सही विकल्प है।
- चीला: राइस ब्रान या ऑलिव ऑइल जैसे स्वस्थ्य तेल का इस्तेमाल करके गेहूँ के आटे से बने पैनकेक या चीला।
- हेल्दी केक: गाजर का केक बनाने के लिए चीनी और तेल के बजाय स्टीविया और दही जैसे नैचुरली मीठे पदार्थ होल व्हीट आटे में मिला सकते हैं।
- पराठा/ ठेपला: हालाँकि ठेपला और परांठे में अधिक कैलोरी होती है, पर होल व्हीट आटे का ठेपला और सब्जी पराठा कभी-कभी डायबिटीज से ग्रसित लोग खा सकते हैं।
होल व्हीट गेहूँ से बनी चपाती डायबिटीज में बेहतर है?
डायबिटीज से ग्रसित अधिकांश लोगों के लिए होल व्हीट से बनी चपाती आमतौर पर चावल से बेहतर होती है। होल व्हीट आटे का कम GI इसे डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एकदम बढ़िया है।
होल व्हीट आटे में मौजूद पेचीदा हाई कार्बोहाइड्रेट्स को पचाने में समय लगता है, जिससे ग्लाइसेमिक लोड कम हो जाता है। पेचीदा कार्बोहाइड्रेट्स के अलावा चपाती में हाई डाइटरी फाइबर होते हैं जो ब्लड में शुगर एबसोर्पशन को धीमा करते हैं। शुगर एबसोर्पशन में देरी ब्लड शुगर लेवल में अचानक बढ़ोतरी को रोकती है।
होल व्हीट आटे से बनी चपाती में कम फैट्स होते हैं, इसलिए इसे डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक स्वस्थ और बेलेंस डाएट पेश करनेवाला खाद्य पदार्थ माना जाता है।
FitterTake
जी हाॅं! गेहूँ और डायबिटीज की अच्छी जोड़ी है।
होल व्हीट डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए एक लाभदायक अनाज है। फाइबर से भरपूर गेहूँ का आटा डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए बहुत मायने रखता है। डायबिटीज में भोजन के बारे में सोचते समय, आमतौर पर गेहूँ वह अनाज है जो हमारे दिमाग में तुरंत आ जाता है।
हालाँकि, एक स्वस्थ अनाज, गेहूँ के आटे का सेवन आपको माॅडरेट करना चाहिए, क्योंकि इसके अत्यधिक सेवन से ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी हो सकती है।
अगर आपको अपने डाएट का ख्याल रखने के बावजूद अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मुश्किलें आ रही हों, तो चिंता मत कीजिए।
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